सतरंज के खिलाड़ी

सतरंज के खिलाड़ी

"सतरंज के खिलाड़ी" मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित एक प्रसिद्ध कहानी है, जो 1924 में प्रकाशित हुई थी। इस कहानी में प्रेमचंद ने सामाजिक और राजनीतिक आलोचना की है और यह दिखाया है कि किस तरह भारतीय समाज के महत्वपूर्ण वर्ग, ब्रिटिश शासन के खतरे को अनदेखा कर अपने व्यक्तिगत सुखों में खोए रहते हैं।

कहानी का सारांश:

कहानी का केंद्र लखनऊ के दो प्रमुख पात्रों मीरजा और मीर के इर्द-गिर्द घूमता है। ये दोनों शाही दरबार के सदस्य हैं और समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति माने जाते हैं। हालांकि, ये दोनों व्यक्ति पूरी तरह से सतरंज (शतरंज) के खेल में खोए रहते हैं और देश में हो रहे राजनीतिक संकट और बदलावों से बिल्कुल अनजान रहते हैं।

इस समय ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत में अपनी जड़ें जमा ली थीं, और भारत की स्थिति बहुत चिंताजनक हो रही थी, लेकिन मीरजा और मीर अपनी दुनिया में खोकर सिर्फ अपने खेल में ही रुचि रखते हैं। उनके लिए राजनीतिक संकट, ब्रिटिश आक्रमण और समाज में हो रही विकृतियों से कोई फर्क नहीं पड़ता। वे बस अपनी सतरंज की बिसात पर व्यस्त रहते हैं और अपनी जिम्मेदारियों से भागते हैं।

कहानी में प्रेमचंद ने यह दिखाया है कि जब समाज के प्रभावशाली लोग अपने व्यक्तिगत आनंद और आराम में खो जाते हैं, तो वे देश के संकट और सामाजिक मुद्दों से बेखबर रहते हैं। राजनीतिक लापरवाही और नैतिक पतन को चित्रित करते हुए यह कहानी हमें यह समझाने की कोशिश करती है कि नेताओं और समाज के प्रभावशाली लोगों को अपनी जिम्मेदारियों को पहचानना चाहिए।

मुख्य विचार:

  1. राजनीतिक लापरवाही: मीरजा और मीर के पात्रों के माध्यम से यह दिखाया गया है कि जब समाज के प्रमुख लोग अपनी जिम्मेदारियों से बचते हैं, तो समाज का पतन निश्चित होता है।
  2. सामाजिक जागरूकता की कमी: यह कहानी यह संदेश देती है कि समाज के प्रभावशाली वर्ग को अपनी समाज के प्रति जिम्मेदारी को समझना चाहिए और सामाजिक सुधार में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
  3. ब्रिटिश शासन और भारतीय समाज: प्रेमचंद ने ब्रिटिश साम्राज्य के प्रभाव को और उस समय की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति को भी प्रभावी तरीके से चित्रित किया है।

निष्कर्ष:

"सतरंज के खिलाड़ी" एक सामाजिक और राजनीतिक आलोचना है, जो यह दिखाती है कि जब समाज के प्रभावशाली और शिक्षित वर्ग के लोग राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं से अनजान रहते हैं, तो देश का भविष्य संकट में पड़ जाता है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास करते हुए समाज और देश के भले के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।